Saturday, May 9, 2020

कोरोना का प्रहार

झरोखों से झांकती रही आखें
     ये क्या कहती रही सलाखें
बिम्ब, प्रतिबिंब ये कैसा
         झूठा दंभ ये कैसा
यूं तो बाग है, बहार है
दरवाजे पर मगर,
      कोरोना का प्रहार है।
       ✍️seema choudhary

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